पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का निधन हो गया। वे 79 साल के थे। पाकिस्तान मीडिया ने सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है। मुशर्रफ लंबे समय से बीमार चल रहे थे। दुबई के अस्पताल में उनका इलाज किया जा रहा था।
द्वितीय कश्मीर युद्ध में खेमकरण सेक्टर के लिए लड़ाई के दौरान मुशर्रफ का पहला युद्धक्षेत्र अनुभव एक तोपखाना रेजिमेंट के साथ था. मुशर्रफ ने संघर्ष के दौरान लाहौर और सियालकोट युद्ध क्षेत्रों में भी भाग लिया था. उन्हें वीरता के लिए इम्तियाज़ी सनद पदक मिला. 1965 के युद्ध की समाप्ति के तुरंत बाद मुशर्रफ को कुलीन विशेष सेवा समूह में शामिल हो किया गया था. उन्होंने 1966 से 1972 तक SSG में सेवा की.
मुशर्रफ का करगिल युद्ध भड़काने में बड़ा योगदान
तत्कालीन आर्मी चीफ मुशर्रफ ही करगिल संघर्ष (Kargil War) के पीछे एक प्रमुख रणनीतिकार थे. 1999 में मार्च से मई तक उन्होंने करगिल जिले में गुप्त घुसपैठ का आदेश दिया था. इसके बाद, जैसे ही इस बात की भनक भारत को लगी तो दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू हो गया. इस युद्ध में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी और मुशर्रफ की भी बहुत किरकिरी हुई थी.
पाकिस्तान के राष्ट्रपति नवाज शरीफ ने कहा था कि ऑपरेशन उनकी जानकारी के बिना किया गया था. हालांकि, करगिल ऑपरेशन से पहले और बाद में उन्हें सेना से मिली ब्रीफिंग का ब्योरा सार्वजनिक हो गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऑपरेशन से पहले जनवरी और मार्च के बीच, शरीफ को तीन अलग-अलग बैठकों में ऑपरेशन के बारे में जानकारी दी गई थी.