कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक कंपनी की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उसने वर्ष 2021 के लिए अपने परिचालन के आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए थे। उद्योगों में इस्तेमाल होने वाले वस्त्रों की तकनीकी इकाइयों का निर्माण करने वाली मेसर्स मस्तूरलाल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ 2015 में सांख्यिकी संग्रह अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू की गई थी।
कंपनी ने इसके खिलाफ 2022 में उच्च न्यायालय का रुख किया था। न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने हाल के एक फैसले में कहा कि किसी भी कंपनी की ओर से किसी भी तरह की लापरवाही का निस्संदेह देश की आर्थिक नीतियों पर प्रभाव पड़ेगा, जो किसी भी राष्ट्र की प्रेरक शक्ति है।
डेटा संग्रह के महत्व पर उच्च न्यायालय ने कहा, यह सार्वजनिक है कि भारतीय सांख्यिकी प्रणाली दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रणालियों में से एक है। देश सांख्यिकीय अनुपालन और अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं पर एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्रीय आर्थिक और सामाजिक आयोग के सभी अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों में भाग लेता है। अदालत ने कहा कि इसलिए अधिनियम के तहत प्रत्येक हितधारक के लिए यह अनिवार्य हो जाता है कि वह अपने आंकड़े सालाना, लगन से प्रस्तुत करे।