साढ़े छह सौ करोड़ रुपये की लागत पर तैयार हुए ‘चंद्रयान 3’ मिशन की सफलता, विभिन्न क्षेत्रों में भारत के लिए नई राहें प्रशस्त करेगा। ये कामयाबी महज विज्ञान, तकनीकी या दूसरे क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि आर्थिक तौर पर भी देश को नए आयामों तक ले जाएगी।
स्पेस कमीशन के सदस्य डॉ. किरण कुमार ने बताया की, दुनिया में ‘स्पेस इकॉनोमी’ 400 बिलियन डॉलर की है। मौजूदा समय में यहां पर भारत का कंट्रीब्यूशन महज पांच से सात प्रतिशत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कंट्रीब्यूशन को बीस प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य रखा है। चंद्रयान-3 की सफलता, इस लक्ष्य को हासिल करा सकती है। चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग से भारत के पास हैवी मिसाइल दागने का एक विश्वसनीय प्लेटफार्म उपलब्ध हो जाएगा।
जब भारत में पे लोड की क्षमता बढ़ेगी तो दुनिया के कई देश अपने उपग्रहों की लॉंचिंग के लिए भारत से संपर्क करेंगे। ‘चंद्रयान-3’ की सफलता से भारत पर डॉलर बरसने लगेंगे। इसके अलावा ‘चंद्रयान-3’ की कामयाबी भारत को पृथ्वी से बाहर यानी चंद्रमा पर एक सर्विस स्टेशन तैयार करने का अवसर प्रदान करेगी। यहां से दूसरे ग्रहों पर जाना आसान हो जाएगा।