भारत में आजकल की युवा पीढ़ी, जिसे हम ‘EMI पीढ़ी’ कहते हैं, त्योहारों और नई तकनीकी चीज़ों के लिए ऋण ले रही है। Warren Buffett, जो विश्व के सबसे बड़े निवेशकों में से एक हैं, ने हमेशा सिखाया है कि समृद्धि उधारी से नहीं, बल्कि समझदारी से बचत और निवेश से आती है।
EMI का आकर्षण और इसके खतरे
त्योहारों के दौरान ‘नो-कॉस्ट EMI’ जैसे आकर्षक ऑफ़र उपभोक्ताओं को लुभाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन ऑफ़रों के पीछे छिपे जोखिम क्या हैं?
- छिपे हुए शुल्क: ‘नो-कॉस्ट EMI’ में अक्सर प्रोसेसिंग फीस या कैशबैक की कमी होती है, जिससे कुल लागत बढ़ जाती है।
- EMI का बोझ: एक या दो EMI का भुगतान आसान लगता है, लेकिन कई EMI मिलकर मासिक बजट पर भारी पड़ सकती हैं।
- ब्याज दरें: भारत में क्रेडिट कार्ड पर ब्याज दरें 36-40% तक हो सकती हैं, जो ऋण को बढ़ने में मदद करती हैं।
Warren Buffett की वित्तीय सलाह
Warren Buffett ने हमेशा सरल और समझदारी से वित्तीय निर्णय लेने की सलाह दी है:
- बचत पहले, खर्च बाद में: हर महीने की आय में से पहले बचत करें, फिर खर्च करें। इससे वित्तीय अनुशासन बना रहता है।
- ऋण से बचें: उधारी से खर्च करने की बजाय, अपनी आवश्यकताओं के अनुसार बजट बनाएं और उसी के अनुसार खर्च करें।
- साधारण जीवन जीएं: महंगे सामान और दिखावे से बचें। Buffett ने खुद एक साधारण जीवन जीने का उदाहरण प्रस्तुत किया है।
भारत में बढ़ती EMI संस्कृति
भारत में युवा वर्ग त्योहारों के दौरान EMI पर खरीदारी करने में संकोच नहीं करता। यह प्रवृत्ति वित्तीय अनुशासन की कमी को दर्शाती है। Warren Buffett की सलाह है कि उधारी से समृद्धि नहीं आती, बल्कि यह ऋण के जाल में फंसने का कारण बनती है।
Warren Buffett की सलाह को अपनाकर हम अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत बना सकते हैं। EMI संस्कृति से बचकर, समझदारी से बचत और निवेश करके हम वित्तीय स्वतंत्रता की ओर बढ़ सकते हैं।
याद रखें, “ऋण से समृद्धि नहीं आती, बल्कि यह मानसिक बोझ बढ़ाती है।” Warren Buffett की यह सलाह हमें वित्तीय अनुशासन और समझदारी से खर्च करने की प्रेरणा देती है।