Ladakh में बढ़ रहा है Statehood का आंदोलन
Ladakh इस समय एक बड़े राजनीतिक संकट से गुज़र रहा है। पिछले कुछ दिनों में Leh और आसपास के इलाकों में Statehood और Sixth Schedule की मांग को लेकर बड़े protests हुए। इस दौरान हिंसक झड़पें हुईं जिनमें 4 लोगों की मौत और कई लोग घायल हो गए।
Sonam Wangchuk की गिरफ़्तारी और NSA का इस्तेमाल
प्रसिद्ध activist Sonam Wangchuk को प्रशासन ने National Security Act (NSA) के तहत गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी के बाद उन्हें Jodhpur Jail शिफ्ट कर दिया गया।
सरकार का आरोप है कि Wangchuk ने “provocative statements” दिए जिससे हिंसा बढ़ी। वहीं Wangchuk का कहना है कि उन्होंने हमेशा लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की और किसी भी तरह की हिंसा को बढ़ावा नहीं दिया।
Internet Services बंद, NGO Registration Cancel
गिरफ़्तारी के तुरंत बाद Leh में internet और mobile services बंद कर दी गईं ताकि माहौल को नियंत्रण में रखा जा सके। इसके साथ ही Wangchuk के NGO का FCRA Registration भी रद्द कर दिया गया।
प्रशासन का कहना है कि उनकी गतिविधियाँ “security के खिलाफ” थीं, लेकिन Wangchuk का दावा है कि यह सब “आवाज़ दबाने” की कोशिश है।
परिवार और समर्थकों की प्रतिक्रिया
Sonam Wangchuk की पत्नी ने कहा कि “National machinery” उनके खिलाफ इस्तेमाल की जा रही है, जबकि वे हमेशा India और संविधान के साथ खड़े रहे हैं।
वहीं Ladakh के लोगों का कहना है कि उनकी मांग सिर्फ Statehood और local लोगों के अधिकारों की रक्षा की है।
सरकार का पक्ष
Ladakh administration का कहना है कि Wangchuk को Leh में रखना सुरक्षित नहीं था, इसलिए उन्हें बाहर शिफ्ट किया गया। प्रशासन का दावा है कि उनके पास “specific inputs” थे कि स्थिति और बिगड़ सकती है।
Protest की पृष्ठभूमि
- Ladakh को 2019 में Union Territory का दर्जा मिला था।
- लोग लंबे समय से Statehood और Sixth Schedule की मांग कर रहे हैं।
- उनका कहना है कि बिना constitutional safeguards, Ladakh की संस्कृति और ज़मीन पर बाहरी दबाव बढ़ेगा।
आगे का रास्ता
Wangchuk की गिरफ्तारी ने आंदोलन को और भड़का दिया है। सवाल यह है कि क्या सरकार संवाद का रास्ता चुनेगी या फिर सख्ती से हालात काबू में करेगी।
International स्तर पर भी यह मामला human rights और freedom of speech की बहस को जन्म दे सकता है।