रूसी राष्ट्रपति Vladimir Putin ने हाल ही में भारत को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने US द्वारा लगाए गए टैरिफ़ और भारत के रूस से ऊर्जा आयात पर भारत की स्थिति की सराहना की। आइए जानते हैं इस बयान का अर्थ और इसके पीछे के राजनीतिक और आर्थिक पहलुओं के बारे में।
US टैरिफ़ और भारत की स्थिति
अगस्त 2025 में, US ने भारत पर 50% टैरिफ़ लगाया था, जिसमें से 25% तेल आयात पर और 25% अन्य उत्पादों पर था। इस कदम के पीछे US का तर्क था कि भारत रूस से ऊर्जा आयात करके Ukraine युद्ध में अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग कर रहा है। हालांकि, भारत ने इस निर्णय को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानते हुए इसका विरोध किया है।
Putin का समर्थन
रूसी राष्ट्रपति Vladimir Putin ने Sochi में आयोजित Valdai Discussion Forum में भारत के प्रधानमंत्री Narendra Modi की सराहना करते हुए कहा कि “भारत कभी भी अपमान सहन नहीं करेगा।” उन्होंने Modi को “समझदार और राष्ट्रहित में सोचने वाला नेता” बताया और कहा कि भारत अपनी ऊर्जा नीति में स्वतंत्र है। Putin ने यह भी कहा कि यदि भारत रूस से ऊर्जा आयात बंद करता है, तो उसे $9–10 बिलियन का नुकसान होगा, जो US टैरिफ़ के बराबर है।
रूस-भारत संबंधों की विशेषता
Putin ने भारत और रूस के संबंधों को “विशेष” बताते हुए कहा कि यह संबंध सोवियत काल से मजबूत रहे हैं। उन्होंने Modi को अपना मित्र बताया और कहा कि दोनों देशों के बीच विश्वासपूर्ण बातचीत होती है। इसके अतिरिक्त, Putin ने संकेत दिया कि रूस भारत से अधिक कृषि उत्पाद और दवाइयाँ आयात करने पर विचार कर सकता है, ताकि व्यापार संतुलन को सुधारा जा सके।
US टैरिफ़ का वैश्विक प्रभाव
Putin ने चेतावनी दी कि US द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ़ वैश्विक कीमतों को बढ़ा सकते हैं और US Federal Reserve को उच्च ब्याज दरें बनाए रखने के लिए मजबूर कर सकते हैं, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था धीमी हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कदम US की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।
रूसी राष्ट्रपति Vladimir Putin का यह बयान भारत के लिए एक महत्वपूर्ण समर्थन है, जो US के दबाव के बावजूद अपनी स्वतंत्र ऊर्जा नीति बनाए रखे हुए है। यह घटना यह दर्शाती है कि वैश्विक राजनीति में देशों के बीच संबंध केवल व्यापारिक हितों तक सीमित नहीं होते, बल्कि रणनीतिक साझेदारियाँ और संप्रभुता भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।