H-1B वीज़ा शुल्क वृद्धि: भारत की प्रतिक्रिया, अमेरिकी कंपनियों की स्थिति और वैश्विक प्रभाव
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीज़ा शुल्क को $100,000 तक बढ़ा दिया है, जिससे भारतीय आईटी पेशेवरों और कंपनियों में चिंता का माहौल है। आइए जानते हैं इस निर्णय के भारत, अमेरिकी कंपनियों और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में क्या प्रभाव पड़ेंगे।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इस शुल्क वृद्धि पर चिंता व्यक्त की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जयस्वाल ने इसे “विकसित हो रही स्थिति” बताया और कहा कि सभी संबंधित पक्षों से चर्चा जारी है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इसे “हमारे टैलेंट से डर” करार दिया है।
अमेरिकी कंपनियों की स्थिति
Microsoft, Amazon और JPMorgan जैसी कंपनियों ने अपने H-1B वीज़ा धारकों को अमेरिका में बने रहने की सलाह दी है। इस निर्णय से भारतीय आईटी कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई है, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ी है।
वैश्विक प्रभाव
जर्मनी, कनाडा और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों ने भारतीय पेशेवरों के लिए अपने दरवाजे खोले हैं। जर्मन राजदूत फिलिप एकरमैन ने भारतीय पेशेवरों का स्वागत किया है, जबकि कनाडा और यूके ने भी अपनी नीतियों में लचीलापन दिखाया है।
भारतीय आईटी कंपनियों पर प्रभाव
Crisil के अनुसार, इस शुल्क वृद्धि से भारतीय आईटी कंपनियों के लाभ मार्जिन में 0.20% की कमी आ सकती है। हालांकि, कंपनियाँ इस लागत को अपने ग्राहकों पर 30-70% तक पास-थ्रू कर सकती हैं।
वीज़ा बालाजी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़
H-1B वीज़ा शुल्क वृद्धि के बाद तेलंगाना के “वीज़ा बालाजी” मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई है। यह मंदिर वीज़ा संबंधित इच्छाओं के लिए प्रसिद्ध है, और अब यह एक सांस्कृतिक प्रतीक बन गया है।
H-1B वीज़ा शुल्क वृद्धि से भारतीय पेशेवरों और कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा। हालांकि, अन्य देशों द्वारा अवसर प्रदान किए जाने से कुछ राहत मिल सकती है। भारत सरकार की सक्रिय प्रतिक्रिया और अमेरिकी कंपनियों की स्थिति पर नजर रखना महत्वपूर्ण होगा।