भारत की न्यायपालिका में हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने पूरे देश को चौंका दिया। Supreme Court के अंदर Chief Justice of India (CJI) B.R. Gavai पर एक वकील Rakesh Kishore ने जूता फेंकने की कोशिश की। यह घटना न केवल कोर्ट रूम की गरिमा पर सवाल उठाती है बल्कि समाज में बढ़ती धार्मिक संवेदनशीलता और न्यायपालिका के प्रति असंतोष को भी उजागर करती है।
कौन हैं Lawyer Rakesh Kishore और क्या है मामला?
6 अक्टूबर 2025 को Supreme Court में एक सुनवाई के दौरान 71 वर्षीय Advocate Rakesh Kishore ने CJI Gavai की तरफ जूता फेंकने का प्रयास किया। बताया गया कि यह घटना उस वक्त हुई जब कोर्ट में Khajuraho (Madhya Pradesh) स्थित एक Lord Vishnu idol के पुनर्निर्माण से जुड़ी याचिका पर सुनवाई चल रही थी।
CJI Gavai ने मजाकिया लहजे में कहा था — “जाओ, मूर्ति से कहो कि खुद ही अपना सिर ठीक कर ले।”
यह टिप्पणी सुनकर Rakesh Kishore आहत हो गए और उन्होंने कोर्ट में जूता फेंकने की कोशिश की। बाद में उन्होंने कहा — “मुझे कोई पछतावा नहीं है, मैंने अपनी धार्मिक भावना के लिए खड़ा होने का काम किया।”
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल, लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। कुछ लोगों ने Kishore के कदम को धार्मिक भावनाओं की अभिव्यक्ति बताया, जबकि अधिकांश लोगों ने इसे judicial decorum के खिलाफ बताया।
Twitter (X) और YouTube पर इस विषय पर हजारों पोस्ट्स आए, जिनमें लोग न्यायपालिका के प्रति सम्मान और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन पर बहस करते दिखे।
CJI Gavai का जवाब: सोशल मीडिया रिपोर्टिंग पर निशाना
अगले ही दिन CJI Gavai ने बिना नाम लिए इस घटना पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर अदालत की कार्यवाही को तोड़-मरोड़कर दिखाया जाता है।
उन्होंने कहा — “कुछ लोग न्यायालय के आदेशों को राजनीतिक चश्मे से देखते हैं। न्याय केवल तथ्यों और कानून के आधार पर होता है, भावनाओं के नहीं।”
यह बयान सीधे तौर पर उन लोगों के लिए था जो Kishore की कार्रवाई को धार्मिक मुद्दे से जोड़ रहे थे।
Bar Council of India (BCI) की सख्त कार्रवाई
Bar Council of India (BCI) ने इस घटना को “inconsistent with the dignity of the legal profession” कहा और Rakesh Kishore की वकालत की लाइसेंस तुरंत सस्पेंड कर दी।
BCI ने कहा — “इस तरह का व्यवहार न केवल न्यायपालिका बल्कि पूरे कानूनी तंत्र पर हमला है।”
Maharashtra & Goa Bar Council ने भी इस घटना की निंदा करते हुए इसे “attack on the Constitution” बताया।
Political और Social Reactions
देशभर के नेताओं ने इस घटना की आलोचना की।
- PM Narendra Modi ने कहा कि “CJI Gavai ने जिस शांति से स्थिति को संभाला, वह सराहनीय है।”
- Kerala CM Pinarayi Vijayan ने इसे “communal propaganda का नतीजा” बताया।
- कई सामाजिक संगठनों ने इसे “Sanatan Dharma के नाम पर हिंसा फैलाने की कोशिश” बताया।
The Wire और Indian Express की रिपोर्ट में क्या कहा गया?
The Wire की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना सिर्फ एक कोर्ट रूम ड्रामा नहीं बल्कि India’s deepest faultline — धर्म और न्याय के टकराव की झलक है।
वहीं, Indian Express ने बताया कि इस घटना ने judiciary की neutrality और religion-based sentiments के बीच चल रही खींचतान को और उजागर कर दिया है।
जनता की राय क्या कहती है?
कुछ लोगों का मानना है कि Rakesh Kishore का कदम गलत था लेकिन उनकी भावनाएँ सच्ची थीं। वहीं, बहुत से लोग कहते हैं कि “अगर हर व्यक्ति अपनी भावनाओं के लिए कोर्ट में जूता फेंकेगा, तो कानून का क्या होगा?”
जनता में एक बड़ा वर्ग यह मानता है कि धार्मिक विश्वास और न्यायपालिका दोनों को समान सम्मान मिलना चाहिए, पर इस तरह की हरकतें देश की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं।
Rakesh Kishore vs CJI Gavai Shoe Attack का मामला अब केवल एक घटना नहीं रहा, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र और न्यायपालिका की सीमाओं की परीक्षा बन गया है।
यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि Freedom of Expression और Respect for Institutions के बीच सही संतुलन कहाँ है।