30 सितंबर 2025 को Enforcement Directorate (ED) ने Anil Ambani के Reliance Infrastructure (RInfra) और अन्य रिलायंस समूह की कंपनियों के छह ठिकानों पर बड़ी छापेमारी की। यह कार्रवाई FEMA (Foreign Exchange Management Act) उल्लंघनों की जांच के तहत की गई है।
छापेमारी Mumbai और Indore में स्थित Reliance Infra कार्यालयों और Path India Group के ठिकानों पर की गई। ED ने लेन-देन से जुड़े दस्तावेज, कंप्यूटर और डिजिटल डिवाइस जब्त किए। जांच के दौरान यह पता चला कि RInfra ने लगभग ₹17,000 करोड़ के ऋण अन्य रिलायंस समूह कंपनियों में inter-corporate deposits (ICDs) के जरिए स्थानांतरित किए। आरोप है कि यह लेन-देन CLE कंपनी के माध्यम से किया गया, जो संबंधित पक्ष के रूप में घोषित नहीं थी।
SEBI (Securities and Exchange Board of India) की रिपोर्ट के अनुसार, RInfra ने समूह की अन्य कंपनियों को ICDs के जरिए फंड भेजे, जिससे पारदर्शिता और कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर सवाल उठे।
Reliance Infra ने स्पष्ट किया कि ED की कार्रवाई 2010 के Rajasthan toll road projects से संबंधित एक अनुबंध के संदर्भ में है और वर्तमान FEMA जांच से इसका कोई संबंध नहीं है।
यह ED की कार्रवाई Anil Ambani और उनके समूह की कंपनियों के लिए कानूनी चुनौतियों की एक लंबी श्रृंखला का हिस्सा है। अगस्त 2024 में SEBI ने फंड डाइवर्जन स्कीम के कारण Ambani पर ₹25 करोड़ का जुर्माना लगाया और उन्हें पांच साल के लिए प्रतिभूति बाजार में बैन किया।
इस घटना से स्पष्ट होता है कि Reliance Group की वित्तीय गतिविधियों और कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर लगातार निगरानी बनी हुई है।