Politics

दिल्ली चुनाव 2025: दलित बहुल सीटों पर बीजेपी की तैयारी और रणनीति

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपनी रणनीति को दलित बहुल सीटों पर केंद्रित कर दिया है। चुनाव की घोषणा से काफी पहले से ही पार्टी ने इन सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए व्यापक जनसंपर्क अभियान शुरू कर दिया था। दिल्ली में अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित 12 सीटों के अलावा, लगभग ढाई दर्जन अन्य सीटें भी हैं, जहां दलित समुदाय के मतदाताओं का प्रभाव 17% से लेकर 45% तक है।

दलित बहुल सीटों पर बीजेपी का इतिहास

दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 12 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। इन सीटों पर बीजेपी का सबसे अच्छा प्रदर्शन 1993 में रहा था, जब उसने 13 में से 8 सीटें जीती थीं। इसके बाद, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने इन सीटों पर अपना दबदबा बनाए रखा। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में आप ने इन सभी 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी।

बीजेपी के लिए यह चुनाव एक चुनौती और अवसर दोनों है, क्योंकि पार्टी का लक्ष्य न केवल आरक्षित सीटों पर बल्कि अन्य दलित बहुल सीटों पर भी अपनी स्थिति मजबूत करना है।

दलित वोट बैंक का महत्व

दिल्ली में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 12 सीटों के अतिरिक्त 18 ऐसी सीटें हैं, जहां दलित मतदाताओं का हिस्सा 25% तक है। इनमें राजेंद्र नगर, चांदनी चौक, आदर्श नगर, शाहदरा, तुगलकाबाद, और बिजवासन जैसी सीटें शामिल हैं। इन क्षेत्रों में दलित समुदाय का प्रभाव पार्टी के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।

बीजेपी ने इन सीटों को जीतने के लिए व्यापक तैयारी की है। पार्टी ने इन क्षेत्रों के 5,600 से अधिक मतदान केंद्रों की पहचान की है, जिनमें से 1,900 बूथों को प्राथमिकता दी गई है।

व्यापक संपर्क अभियान

बीजेपी ने इन 30 सीटों पर झुग्गियों और अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले दलित समुदाय के साथ संवाद स्थापित करने के लिए व्यापक अभियान चलाया। दिल्ली बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष मोहन लाल गिहारा ने बताया कि पार्टी ने समुदाय के बीच प्रभावशाली संपर्क स्थापित करने के लिए वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को विस्तारक के रूप में नियुक्त किया।

इन विस्तारकों ने प्रत्येक मतदान केंद्र पर 10 दलित युवाओं को तैनात किया, जिन्होंने मतदाताओं से सीधे संपर्क किया और उन्हें बीजेपी की नीतियों और उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी। पार्टी का यह प्रयास सुनिश्चित करने के लिए था कि मतदाता “आप” सरकार की विफलताओं और मोदी सरकार की उपलब्धियों को समझें।

प्रमुख नेताओं और समुदाय से संवाद

बीजेपी ने इस अभियान को और मजबूत करने के लिए 18,000 से अधिक सक्रिय कार्यकर्ताओं का एक नेटवर्क तैयार किया। इसके अलावा, पार्टी ने 55 बड़े दलित नेताओं को भी इस मुहिम में शामिल किया। इनमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, और हरियाणा जैसे राज्यों के पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद शामिल हैं।

पार्टी ने राजनीतिक रूप से प्रभावशाली दलित समुदाय के लगभग 3,500 प्रमुख व्यक्तियों से भी संपर्क किया। इन व्यक्तियों को पार्टी की ओर से सम्मानित किया गया और उन्हें अनुसूचित जाति स्वाभिमान सम्मेलनों में आमंत्रित किया गया।

स्वाभिमान सम्मेलन और दलित समुदाय का समर्थन

बीजेपी ने दिसंबर 2024 से “अनुसूचित जाति स्वाभिमान सम्मेलन” आयोजित करना शुरू किया। अब तक 15 ऐसे सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं, जिनमें प्रत्येक में 1,500 से 2,500 दलित समुदाय के सदस्य उपस्थित हुए। इन सम्मेलनों में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया और समुदाय के साथ संवाद स्थापित किया।

पार्टी नेताओं का दावा है कि इन सम्मेलनों के दौरान दलित समुदाय का अच्छा समर्थन देखने को मिला। इसका मुख्य उद्देश्य समुदाय को पार्टी के प्रति और अधिक आकर्षित करना और उनके वोटों को सुनिश्चित करना है।

रणनीति का दूसरा चरण

चुनाव की तारीख नजदीक आते ही बीजेपी ने अपनी रणनीति के दूसरे चरण में कदम रखा है। इसमें पार्टी ने अपने शीर्ष नेतृत्व और प्रमुख दलित नेताओं को सीधे इन निर्वाचन क्षेत्रों में सक्रिय किया। बैठकें और रैलियां आयोजित की जा रही हैं, ताकि अधिक से अधिक मतदाताओं तक पहुंच बनाई जा सके।

निष्कर्ष

दिल्ली चुनाव 2025 में दलित बहुल सीटों पर बीजेपी का प्रदर्शन पार्टी की रणनीति और अभियान की सफलता पर निर्भर करेगा। बीजेपी ने इन सीटों पर व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाकर और समुदाय के प्रभावशाली व्यक्तियों को शामिल करके अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की है।

चुनाव की तारीख 5 फरवरी 2025 तय है, और नतीजे 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी अपनी रणनीति में कितनी सफल होती है और दलित बहुल सीटों पर किस हद तक अपनी स्थिति मजबूत कर पाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *